प्रियम गर्गः बेटे को क्रिकेटर बनाने के लिए पिता ने बेचा दूध व बने ड्राइवर

अंडर-19 विश्वकप 2020 के लिए भारतीय टीम के कप्तान नियुक्त किए गए प्रियम गर्ग की जिंदगी संघर्षमय रही है। क्रिकेट के बल्ले व गेंद की फैक्ट्री वाले शहर मेरठ में जन्में प्रियम गर्ग आठ साल की उम्र से ही क्रिकेट खेलने लगे थे। उनके आसपास के लोगों ने उनकी प्रतिभा को देख उनके पिता को उन्हें क्रिकेट एकेडमी में दाखिला दिलाने की सलाह दी। लेकिन प्रियम के पिता की आर्थिक स्थिति ज्यादा अच्छी नहीं थी, आय का स्त्रोत ठीक नहीं था।
कैसे करके दिलवाया दाखिला
लेकिन उनके पिता नरेश गर्ग ने उनका एडमिशन मेरठ के भामाशाह पार्क में कोच संजय रस्तोगी की एकेडमी में करवा दिया। उसके बाद प्रियम के पिता ने अपने बेटे को अच्छा क्रिकेटर बनाने के लिए रात और दिन एक कर दिया। वह रोजाना किला परीक्षितगढ़ से प्रियम को मेरठ भेजने और उनको वापस लाने की जिम्मेदारी निभाते थे। यही नहीं कई बार साधनों की कमी के चलते वह प्रियम को साइकिल से भी मेरठ छोड़ने आते थे। उनके घर से एकेडमी की दूरी तकरीबन 20 किलोमीटर थी।
संघर्ष के दिनों पर प्रियम कहते हैं
उनके अच्छे जीवन के लिए पिता नरेश गर्ग ने कड़ी मेहनत की है। तब मैं यह समझने के लिए बहुत छोटा था। पापा दूध बेचते थे और रात में मुझे 10 रुपये इसलिए देते थे। जिससे मैं समय पर मेरठ पहुंचकर अभ्यास कर सकूं, मेरे लिए पापा ने दूध बेचा, स्कूल की गाड़ी चलाई। उस समय हालात उतने अच्छे नहीं थे, कई बार मैं बस की छत पर बैठकर एकेडमी गया हूं। उस दौरान अक्सर सोचता रहता था कि एक दिन खूब पैसा कमाऊंगा और पापा की मदद करूंगा।
प्रियम की मां चाहती थीं बेटा अधिकारी बने
साल 2011 में उनकी मां कुसुम देवी का बीमारी के चलते निधन हो गया था। तब प्रियम की उम्र 11 साल थी, इस घटना के बाद प्रियम ने एकेडमी जाना छोड़ दिया था। लेकिन पिता के समझाने के बाद उन्होंने दोबारा क्रिकेट खेलना शुरू किया। हालांकि उनकी मां चाहती थी कि बेटा खेलने के बजाय पढ़ाई पर ध्यान दे और अधिकारी बनकर नाम रोशन करे।
पहले से बदली घर की स्थिति
प्रियम गर्ग के पिता नरेश गर्ग मौजूदा समय में स्वास्थ विभाग में गाड़ी चालक हैं, उन्होंने दूध का काम छोड़ दिया है। यही नहीं पहले घर का स्थिति में अब काफी सुधार हुआ है। रणजी मैचों में खिलाड़ी बेटे का चयन होने के बाद से अच्छी रकम मिलती है, जिससे घर के हालात अब पहले से बेहतर हो गए हैं।
प्रथम श्रेणी में बढ़िया रिकॉर्ड
प्रियम गर्ग उत्तर प्रदेश की टीम से खेलते हैं। उन्होंने अपना पहला प्रथम श्रेणी मैच नवंबर 2018 में गोवा के खिलाफ खेला था। अबतक 12 प्रथम श्रेणी मैच में 66.69 की औसत से 867 रन बनाए हैं। जिसमें 2 शतक और 5 अर्धशतक हैं, यही नहीं वह प्रथम श्रेणी में दोहरा शतक भी लगा चुके हैं। इसके अलावा देवधर ट्रॉफी में उपविजेता रही इंडिया-सी की ओर से खेलते हुए प्रियम ने फाइनल में इंडिया-बी के खिलाफ 74 रन बनाए थे।